बाइकर्स दो प्रकार होते है. एक वो जो एक सुसभ्य, सुसंस्कृत मनुष्य की तरह
अपने पीछे बैठे अथवा बैठी दोस्त/ पापा/ चाचा/ मामा/मौसा इत्यादि अथवा गर्लफ्रेंड/पत्नी/दोस्त/मम्मी/चाची/मामी/मौसी/बहन
इत्यादि का ख्याल रखते हुए बिलकुल मनुष्यों की तरह बाइकिंग करते हैं.
दुसरे वो जो अमेज़न के जंगलो में रहने वाले अनाकोंडा सांप से प्रशिक्षण
प्राप्त कर बाइकिंग करते है. इन्हें लहरिया कट बाइकर्स कहा जाता है. इन्हें
इनका नाम अनाकोंडा जैसी लहरदार चाल के लिए मिला है.
मैंने लहरिया कट बाइकर्स पर बहुत शोध किया है [भला हो डिसकवरी चैनल वालो का] और उसी के आधार पर मैं यह शोधपत्र प्रस्तुत कर रही हु. शोध से मुझे यह पता चला है की लहरिया कट बाइकर्स का प्रशिक्षण अनाकोंडा द्वारा ही होता है. इनकी चाल-ढाल तथा स्वभाव अनाकोंडा से बहुत प्रभावित होता है. ये भी अनाकोंडा की तरह लहराते हुए चलते है. बेफिक्रे से. जैसे अनाकोंडा मनुष्यों की जान के दुश्मन होते है ठीक उसी तरह लहरिया कट बाइकर्स भी सीधे सादे पदयात्रियो के दुश्मन होते है. कब, कहा, किसको ठोक दे कुछ पता नहीं. जैसे अनाकोंडा किसी इंसान को ठोक देने माफ़ कीजिएगा निगल जाने के बाद चार पांच दिनों तक पडा रहता है ठीक उसी तरह लहरिया कट बाइकर्स भी किसी को ठोक देने के बाद चार-पांच दिनों तक अस्पताल में पड़े रहते है. अनाकोंडा के लिए जंगल का कोई क़ानून नहीं है. लहरिया कट बाइकर्स के लिए ट्रैफिक का कोई क़ानून नहीं है.
हालांकि इन दोनों में कुछ भिन्नताएं है. सही भी है की बिल्ली मौसी ने अपने शेरू को सब सिखाया लेकिन पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाया. अनाकोंडा अपने इलाके में अकेला रहता है. लहरिया कट बाइकर्स झुण्ड में चलते है. अनाकोंडा तब तक वार नहीं करता जब तक उसे खतरा महसूसन हो. लहरिया कट बाइकर्स अपने साथ साथ सड़क के हर यात्री को खतरे में डाले रहते है. अनाकोंडा का कहना है की तू मुझे तंग मत कर मैं भी तुझे तंग नहीं करूंगा. लहरिया कट बाइकर्स कहते है कि मैं तो मरुंगा ही तेरी भी व्हाट लगा जाऊँगा.
मुद्दे की बात ये की गुरु महाराज ने अच्छी शिक्षा दी लेकिन चेले बिगड़ गए. अब आप ही सड़क पर चल कर देखिये. जय हो लहरिया कट बाइकर्स की कि आपको जीते जी यमराज के दर्शन हो जायेंगे. अगर यमराज साथ न भी ले जाए तो भी लहरिया कट बाइकर्स कि मेहरबानी से हड्डियां टूटना तो तय. रोज रोज के हादसे - रोज रोज लोगो को ठोकना. और हम आप असहाय मनुष्य. लहरिया कट बाइकर्स नहीं सुधरेंगे. हम तो झेल ही रहे है. अब आप भी क्या कीजियेगा... झेल लीजिये...
मैंने लहरिया कट बाइकर्स पर बहुत शोध किया है [भला हो डिसकवरी चैनल वालो का] और उसी के आधार पर मैं यह शोधपत्र प्रस्तुत कर रही हु. शोध से मुझे यह पता चला है की लहरिया कट बाइकर्स का प्रशिक्षण अनाकोंडा द्वारा ही होता है. इनकी चाल-ढाल तथा स्वभाव अनाकोंडा से बहुत प्रभावित होता है. ये भी अनाकोंडा की तरह लहराते हुए चलते है. बेफिक्रे से. जैसे अनाकोंडा मनुष्यों की जान के दुश्मन होते है ठीक उसी तरह लहरिया कट बाइकर्स भी सीधे सादे पदयात्रियो के दुश्मन होते है. कब, कहा, किसको ठोक दे कुछ पता नहीं. जैसे अनाकोंडा किसी इंसान को ठोक देने माफ़ कीजिएगा निगल जाने के बाद चार पांच दिनों तक पडा रहता है ठीक उसी तरह लहरिया कट बाइकर्स भी किसी को ठोक देने के बाद चार-पांच दिनों तक अस्पताल में पड़े रहते है. अनाकोंडा के लिए जंगल का कोई क़ानून नहीं है. लहरिया कट बाइकर्स के लिए ट्रैफिक का कोई क़ानून नहीं है.
हालांकि इन दोनों में कुछ भिन्नताएं है. सही भी है की बिल्ली मौसी ने अपने शेरू को सब सिखाया लेकिन पेड़ पर चढ़ना नहीं सिखाया. अनाकोंडा अपने इलाके में अकेला रहता है. लहरिया कट बाइकर्स झुण्ड में चलते है. अनाकोंडा तब तक वार नहीं करता जब तक उसे खतरा महसूसन हो. लहरिया कट बाइकर्स अपने साथ साथ सड़क के हर यात्री को खतरे में डाले रहते है. अनाकोंडा का कहना है की तू मुझे तंग मत कर मैं भी तुझे तंग नहीं करूंगा. लहरिया कट बाइकर्स कहते है कि मैं तो मरुंगा ही तेरी भी व्हाट लगा जाऊँगा.
मुद्दे की बात ये की गुरु महाराज ने अच्छी शिक्षा दी लेकिन चेले बिगड़ गए. अब आप ही सड़क पर चल कर देखिये. जय हो लहरिया कट बाइकर्स की कि आपको जीते जी यमराज के दर्शन हो जायेंगे. अगर यमराज साथ न भी ले जाए तो भी लहरिया कट बाइकर्स कि मेहरबानी से हड्डियां टूटना तो तय. रोज रोज के हादसे - रोज रोज लोगो को ठोकना. और हम आप असहाय मनुष्य. लहरिया कट बाइकर्स नहीं सुधरेंगे. हम तो झेल ही रहे है. अब आप भी क्या कीजियेगा... झेल लीजिये...
planning to do PHD or something??
ReplyDeletemAY BE :)
Deletevery nice, news paper me chapwa do
ReplyDeleteha ha
DeleteSneha, ye thoda chhota reh gaya mere hisaab se, thoda badhaya ja sakta tha isme kuch aur, par jitna bhi tha, mast tha, main bike fast chalata hoon, par lehariya nahi,,,,I consider others' life as precious as I think mine is.
ReplyDeleteHaan anuj ji, is topic me bahut scope hai lekin maine jaan boojhkar ise chhota rakha kyunki taaki logo ko "jhelne" me zyada taqleef na ho.
Deleteye bahut achchi baat hai ki lahariya cut biker nahi hai. lekin fir bhi speed maintain kiya kijiye
thnx a lot :)
ji, dhyan rakhunga.
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट है। आभार
ReplyDeleteमिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में
जहाँ रचा कालिदास ने महाकाव्य मेघदूत।
Dhanyawaad Sir
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